Zechariah 14

1 देख, ख़ुदावन्द का दिन आता है, जब तेरा माल लूटकर तेरे अन्दर बाँटा जाएगा। 2क्यूँकि मैं सब क़ौमों को जमा’ करूँगा कि यरुशलीम से जंग करें, और शहर ले लिया जाएगा और घर लूटे जाएँगे और ‘औरतें बे हुरमत की जायेंगी और आधा शहर ग़ुलामी में जाएगा, लेकिन बाक़ी लोग शहर ही में रहेंगे।

3तब ख़ुदावन्द ख़ुरूज करेगा और उन क़ौमों से लड़ेगा, जैसे जंग के दिन लड़ा करता था। 4और उस दिन वह को-हए-जै़तून पर जो यरुशलीम के पूरब में वाक़े’ है खड़ा होगा और कोह-ए-ज़ैतून बीच से फट जाएगा; और उसके पूरब से पशचिम तक एक बड़ी वादी हो जाएगी, क्यूँकि आधा पहाड़ उत्तर को सरक जाएगा और आधा दक्खिन को।

5और तुम मेरे पहाड़ों की वादी से होकर भागोगे, क्यूँकि पहाड़ों की वादी अज़ल तक होगी; जिस तरह तुम शाह-ए- यहूदाह उज़ियाह के दिनों में ज़लज़ले से भागे थे, उसी तरह भागोगे; क्यूँकि ख़ुदावन्द मेरा ख़ुदा आएगा और सब कु़दसी उसके साथ

6और उस दिन रोशनी न होगी, और अजराम-ए-फ़लक छिप जाएँगे। 7लेकिन एक दिन ऐसा आएगा जो ख़ुदावन्द ही को मा’लूम है। वह न दिन होगा न रात, लेकिन शाम के वक़्त रोशनी होगी। 8और उस दिन यरुशलीम से आब-ए- हयात जारी होगा, जिसका आधा बहर-ए- पूरब की तरफ़ बहेगा और आधा बहर-ए- पच्छिम की तरफ़, गमीं सदी में जारी रहेगा।

9और ख़ुदावन्द सारी दुनिया का बादशाह होगा। उस दिन एक ही ख़ुदावन्द होगा, और उसका नाम वाहिद होगा। 10 और यरुशलीम के दक्खिन में तमाम मुल्क जिबा’ से रिम्मोन तक मैदान की तरह हो जाएगा। लेकिन यरुशलीम बुलन्द होगा, और बिनयमीन के फाटक से पहले फाटक के मक़ाम या’नी कोने के फाटक तक, और हननएल के बुर्ज से बादशाह के अंगूरी हौज़ों तक, अपने मक़ाम पर आबाद होगा। 11और लोग इसमें सुकूनत करेंगे और फिर ला’नत मुतलक़ न होगी, बल्कि यरुशलीम  अमन-ओ-अमान से आबाद रहेगा।

12और ख़ुदावन्द यरुशलीम से जंग करने वाली सब क़ौमों पर यह ‘अज़ाब नाज़िल करेगा, कि खड़े खड़े उनका गोश्त सूख जाएगा,और उनकी आँखे चश्म खानों में गल जायेंगी और उनकी ज़बान उनके मुँह में सड़ जाएगी। 13और उस दिन ख़ुदावन्द की तरफ़ से उनके बीच बड़ी हलचल होगी और एक दूसरे का हाथ पकड़ेंगे और एक दूसरे के ख़िलाफ़ हाथ उठाएगा।

14और यहूदाह भी यरुशलीम के पास लड़ेगा, और चारों तरफ़ की सब क़ौमों का माल या’नी सोना-चाँदी और पोशाक बड़ी कसरत से इकठ्ठा किया जाएगा। 15और घोड़ों, खच्चरों, ऊँटों, गधों और सब हैवानों पर भी जो उन लश्करगाहों में होंगे, वही ‘अज़ाब नाज़िल होगा

16 और यरुशलीम से लड़ने वाली क़ौमों में से जो बच रहेंगे, साल-ब-साल बादशाह रब्ब-उल-अफ़वाज को सिज्दा करने और ‘ईद-ए-ख़ियाम मनाने को आएँगे। 17और दुनिया के उन तमाम क़बाइल पर जो बादशाह रब्ब-उल-अफ़वाज के सामने सिज्दा करने को यरुशलीम में न आएँगे, मेंह न बरसेगा। 18और अगर क़बाइल-ए-मिस्र जिन पर बारिश नहीं होती न आएँ, तो उन पर वही ‘अज़ाब नाज़िल होगा जिसको ख़ुदावन्द उन गै़र-क़ौमों पर नाज़िल करेगा, जो ‘ईद-ए-ख़ियाम मनाने को न आएँगी।

19अहल-ए-मिस्र और उन सब क़ौमों की, जो ईद-ए-ख़ियाम मनाने की न जाएँ यही सज़ा होगी।

20उस दिन घोड़ों की घंटियों पर लिखा होगा, “ख़ुदावन्द के लिये पाक।” और ख़ुदावन्द के घर को देगें, मज़बह के प्यालों की तरह पाक  होंगें। 21बल्कि यरुशलीम और यहूदाह में की सब देगें, रब्ब-उल-अफ़वाज के लिए पाक होंगी, और सब ज़बीहे पेश करने वाले आयेंगे और उनको लेकर उनमें पकायेंगे और उस रोज़ फिर कोई कन’आनी रब्ब-उल-अफ़वाज के घर में न होगा।|

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